हिमाचल में खाद्य पदार्थों की बढ़ती महंगाई से परेशान लोगों को अब घर बनाने के लिए भी अधिक पैसे खर्च करने होंगे। प्रदेश में कंपनियों ने एक बार सीमेंट का बैग 5 रुपए महंगा कर दिया है। प्रदेश में सप्लाई करने वाली सभी प्रमुख कंपनियों एसीसी, अल्ट्राटेक और अंबुजा ने सीमेंट के रेट बढ़ाए हैं। ये कीमतें तुरंत प्रभाव से लागू हो गई हैं। हिमाचल में सीमेंट कम्पनियां बेलगाम हो गई है। महंगाई आसमान छू रही है। गरीब लोगों को घर बनाना प्रतिदिन मंहगा होता जा रहा है। सरकार इन कम्पनियों की मनमानी पर मूकदर्शक बनी हुई है। प्रदेश की जनता का सरकार पर आरोप है कि प्रदेश सरकार और कम्पनियों की मिलीभगत से महंगा हो रहा है। इसलिए सरकार प्रदेश में सीमेंट की दरों में हो रही बढ़ोतरी पर चुपी साधे हुए है। पिछले 5 महीने में सीमैंट के रेट में 45 रुपए प्रति बैग की बढ़ौतरी हुई है
हैरानी की बात है कि पिछले एक महीने से सीमैंट के दाम 15 रुपए बढ़ गए हैं। इससे पूर्व 17 दिसम्बर को सीमैंट के रेट में 10 रुपए प्रति बैग की बढ़ौतरी हुई थी। उसके बाद ही सीमैंट कंपनियों ने अपने डीलरों के मोबाइल फोन पर सीमैंट के रेट में 10 रुपए प्रति बैग दाम और बढ़ने का मैसेज भेज दिया था, लेकिन बढ़ौतरी अब की है। 23 अगस्त से लेकर अब तक सीमैंट के रेट चौथी बार बढ़ गए हैं। पिछले 5 महीने में सीमैंट के रेट में 45 रुपए प्रति बैग की बढ़ौतरी हुई है।
हिमाचल प्रदेश में सीमेंट के दामों में बृद्धि को लेकर अब विपक्ष लगातार सरकार पर निशाना साध रहा है। वहीं, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने सीमेंट के बढ़े दाम को लेकर सरकार की विवशता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि सीमेंट फ्री कंट्रोल आइटम है। सीमेंट का दाम सरकार नहीं बल्कि सीमेंट कंपनियां ही तय करती हैं।
मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा, “हिमाचल प्रदेश में तीन बड़े सीमेंट प्लांट हैं। सीमेंट फ्री कंट्रोल आइटम है। इस पर ना तो केंद्र सरकार का और ना ही हिमाचल सरकार का कोई नियंत्रण है। दाम बढ़ाने का अधिकार कंपनी का है। वह अपने हिसाब से दाम बढ़ा और घटा सकती है। सरकार केवल कंपनी पर दबाव बन सकती है कि वह सीमेंट के दाम न बढ़ाएं, लेकिन दाम तय करना सरकार के हाथ में नहीं है”।