प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने बताया कि दाखिले के लिए अस्पतालों, आंगनबाड़ी, नर्सरी उपस्थिति के रिकॉर्ड या माता-पिता के घोषणा पत्र को भी मान्य दस्तावेज माना जाएगा।
हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में दाखिले के नियमों में बदलाव
हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में अब ऑनलाइन जन्म प्रमाण पत्र के बजाय वैध जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर भी विद्यार्थियों को दाखिला मिल सकेगा। बाहरी राज्यों के छात्रों को स्कूल दाखिले में आ रही कठिनाइयों को देखते हुए प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने यह व्यवस्था लागू की है।
प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आशीष कोहली द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि दाखिले के लिए अस्पतालों, आंगनबाड़ी, नर्सरी उपस्थिति के रिकॉर्ड या माता-पिता के घोषणा पत्र भी मान्य दस्तावेज माने जाएंगे।
शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला उपनिदेशकों को पत्र जारी कर बताया कि प्रदेश के स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया के दौरान ऑनलाइन जन्म प्रमाण पत्र (फॉर्म नंबर 5) की स्वीकृति को लेकर कुछ शंकाएं थीं, जिन्हें दूर करने के लिए यह नया प्रावधान किया गया है।
स्कूल दाखिले में राहत: ऑनलाइन जन्म प्रमाण पत्र की अनिवार्यता समाप्त
फील्ड ऑफिस से बार-बार मिले प्रतिनिधित्व के बाद यह मुद्दा सामने आया कि बाहरी राज्यों से आने वाले छात्र विशिष्ट ऑनलाइन जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने में असमर्थ हैं, जिससे प्रवेश प्रक्रिया में जटिलताएं और देरी हो रही है।
इस समस्या को दूर करने के लिए प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने 15 फरवरी 2025 के पुराने पत्र को निरस्त कर दिया है। निदेशालय ने स्पष्ट किया कि हालांकि ऑनलाइन जन्म प्रमाण पत्र एक आवश्यक दस्तावेज है, लेकिन इसके अभाव में किसी छात्र के प्रवेश में बाधा नहीं आनी चाहिए।
शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 और हिमाचल प्रदेश आरटीई नियम, 2011 के अनुसार, किसी भी बच्चे को आयु प्रमाण पत्र, जिसमें जन्म प्रमाण पत्र भी शामिल है, की अनुपस्थिति के कारण प्रवेश से वंचित नहीं किया जा सकता।