नई दिल्ली – ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में एक अहम भूमिका निभाने वाले आत्मघाती ड्रोन्स एक बार फिर चर्चा में हैं। इन ड्रोन हथियारों ने दुश्मन के ठिकानों पर बाज की तरह झपट्टा मारकर टारगेट को सटीकता से खत्म किया, जिससे ऑपरेशन की सफलता सुनिश्चित हुई।
क्या होते हैं आत्मघाती ड्रोन?
आत्मघाती ड्रोन, जिन्हें Loitering Munitions भी कहा जाता है, ऐसे ड्रोन होते हैं जो लक्ष्य क्षेत्र में घूमते हुए उचित समय और स्थान की तलाश करते हैं। एक बार टारगेट लॉक होने के बाद ये ड्रोन सीधे टकराकर विस्फोट करते हैं, जिससे दुश्मन को भारी नुकसान होता है।
सूत्रों के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने उन्नत तकनीक से लैस आत्मघाती ड्रोन का इस्तेमाल किया, जो दुश्मन की सीमा में घुसकर उसके ठिकानों को तबाह करने में सक्षम थे। इन ड्रोन की खासियत यह रही कि इन्हें रडार से पकड़ना बेहद मुश्किल था।
सेना का बयान
भारतीय सेना के अधिकारियों ने बताया कि इन ड्रोन्स ने दुश्मन के कमांड और कंट्रोल सेंटर को निशाना बनाया। यह हमला न केवल रणनीतिक दृष्टि से अहम था, बल्कि इससे आतंकवादियों के मनोबल पर भी गहरा असर पड़ा।
तकनीक और रणनीति का संगम
ऑपरेशन सिंदूर यह दर्शाता है कि भारत अब आधुनिक तकनीक के सहारे अपने दुश्मनों को जवाब देने में पूरी तरह सक्षम है। आत्मघाती ड्रोन जैसे हथियारों का प्रयोग भविष्य के युद्धों की दिशा भी तय कर सकता है।