चंबा। विद्यालयों को पर्यावरण संरक्षण का केंद्र बनाना समय की आवश्यकता है। यह बात उच्च शिक्षा उपनिदेशक चंबा भाग सिंह ने इको क्लब प्रभारियों की जिला स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला में कही। उन्होंने कहा कि यदि भावी पीढ़ी को प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाना है तो विद्यालय स्तर पर पर्यावरणीय गतिविधियों को और अधिक सशक्त रूप से संचालित करना होगा।
पीएम श्री राजकीय बाल वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला चंबा में आयोजित इस कार्यशाला में जिले के 125 स्कूलों से इको क्लब प्रभारी शिक्षक शामिल हुए। भाग सिंह ने कहा कि इको क्लबों के माध्यम से बच्चों में पर्यावरण के प्रति व्यावहारिक समझ विकसित की जा सकती है। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को पर्यावरणीय गतिविधियों के बेहतर संचालन के लिए प्रशिक्षित करना था।
शिक्षा विभाग के ओएसडी उमाकांत आनंद ने ‘मोटे अनाज का दैनिक जीवन में महत्व’ विषय पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मोटा अनाज न केवल स्वास्थ्यवर्धक है, बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी सहायक है। जीवविज्ञान के प्रवक्ता दीपक कुमार ने हर्बल जैव विविधता, प्लास्टिक प्रदूषण और पर्यावरणीय संकटों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने स्कूल स्तर पर औषधीय पौधों की नर्सरी, प्लास्टिक मुक्त परिसर और स्थानीय जैव विविधता संरक्षण जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देने पर बल दिया।
भौतिकी प्रवक्ता राजीव कुमार ने जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन के उपायों पर जानकारी दी। विज्ञान पर्यवेक्षक गौरव वैद ने इको क्लब गतिविधियों की योजना, क्रियान्वयन और मूल्यांकन के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाया। कार्यक्रम का संचालन संजीव कुमार ने किया।