हिमाचल प्रदेश में पंचायतों द्वारा बिना आवश्यक मंजूरी के लाखों की संपत्तियों को बेहद कम किराये पर देने का मामला सामने आया है। इससे न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान हुआ है, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी सवाल उठे हैं।
मामला क्या है?
कांगड़ा जिले की बत्थान पंचायत ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि सरकार ने पंचायत की अनुमति के बिना उसके क्षेत्र में खनन पट्टा जारी कर दिया है। पंचायत ने पहले तीन बार खनन प्रस्ताव को खारिज किया था, लेकिन फिर भी पट्टा जारी कर दिया गया। पंचायत ने इस निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख करने की बात कही है।
नियमों में बदलाव
राज्य सरकार ने हाल ही में लीज नियमों में बदलाव करते हुए सरकारी जमीन की लीज अवधि को 99 साल से घटाकर 40 साल कर दिया है। इसके अलावा, फॉरेस्ट ट्रांसफर से मिलने वाली सरकारी जमीन का लीज रेट 50 रुपए प्रति वर्ग मीटर से घटाकर 5 रुपए प्रति वर्ग मीटर कर दिया गया है।
कानूनी पहलू
हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम, 2023 के तहत, बिना अनुमति संपत्तियों को किराये पर देना कानून का उल्लंघन माना जा सकता है। इस अधिनियम की धारा 30 के तहत उल्लंघन करने पर जुर्माना और कारावास की सजा का प्रावधान है।
निष्कर्ष
यह मामला पंचायतों की स्वायत्तता, सरकारी नियमों की अनदेखी और पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है। सरकार को चाहिए कि वह इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए प्रभावी उपाय करे।