Himachal Pradesh: बैंकों ने टारगेट पूरा करने को धड़ाधड़ खोल दिए जन धन खाते, डेढ़ लाख में शून्य ही रहा बैलेंस

हिमाचल प्रदेश में प्रधानमंत्री जन-धन योजना में जीरो बैलेंस वाले 1.57 लाख बैंक खातों को खुलवाने के बाद ग्राहकों ने इनमें एक भी रुपया जमा नहीं करवाया। पढ़ें पूरी खबर.

हिमाचल प्रदेश के बैंकों ने टारगेट पूरा करने के लिए धड़ाधड़ खोले 19.18 लाख प्रधानमंत्री जनधन खातों में से डेढ़ लाख में बैलेंस शून्य ही चल रहा है। इनमें से 4.54 लाख ग्राहकों के रुपे कार्ड एक्टिवेट भी नहीं हुए हैं। रुपे कार्ड का इस्तेमाल नहीं करने के चलते इन 4.54 लाख खाता धारकों को दो लाख रुपये के बीमा दुर्घटना का लाभ नहीं मिलेगा। इन उपभोक्ताओं को अगर बीमा कवर का लाभ लेना है तो रुपे कार्ड को एक्टिव करना होगा। बुधवार को शिमला में हुई राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 175वीं बैठक में यह आंकड़े सामने आए हैं। सभी बैंकों को शून्य खातों वाले ग्राहकों से ट्रांजेक्शन सुनिश्चित करवाने के निर्देश दिए गए हैं।

प्रदेश में प्रधानमंत्री जन-धन योजना में जीरो बैलेंस वाले 1.57 लाख बैंक खातों को खुलवाने के बाद ग्राहकों ने इनमें एक भी रुपया जमा नहीं करवाया। लाभार्थियों को वित्तीय सहायता देने के लिए केंद्र सरकार ने जीरो बैलेंस वाले खाते जन धन योजना में खुलवाए थे। रिजर्व बैंक की ओर से बैंकों को जन धन योजना के तहत खाते खोलने का लक्ष्य दिया जाता है। ऐसे में यह भी आशंका है कि बैंकों की ओर से टारगेट पूरा करने के लिए कई ग्राहकों के फर्जी खाते भी खोले हैं। आने वाले दिनों में इसको लेकर भी राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति जांच कर सकती है। निजी बैंकों में जन धन योजना के तहत खोले गए 25.14 फीसदी खाते जीरो बैलेंस हैं। प्रदेश के सहकारी बैंकों में जीरो बैलेंस खाते 13 फीसदी हैं जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 10.18 फीसदी खाते जीरो बैलेंस हैं। स्मॉल फाइनेंस बैंकों में जीरो बैलेंस खाते सबसे अधिक 53.38 फीसदी हैं।

एक निजी बैंक ने तीन खाते खोले, तीनों ही जीरो बैलेंस
प्रदेश में एक निजी बैंक ऐसा भी है, जिसने प्रधानमंत्री जन धन योजना में कुल तीन खाते खोले, यह तीनों ही खाते जीरो बैलेंस हैं। एक अन्य निजी बैंक ने दो खाते खोले, इनमें से एक जीरो बैलेंस वाला ही है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में इंडियन ओवरसीज बैंक के 25.08 फीसदी, पंजाब एंड सिंध बैंक के 22.58, यूनियन बैंक आफ इंडिया के 28.46, इंडियन बैंक के 18.14, बैंक आफ महाराष्ट्र के 19.73 और सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के 12.96 फीसदी खाते जीरो बैलेंस के हैं। पंजाब नेशनल बैंक का प्रदर्शन सबसे बेहतर हैं। पीएनबी में सिर्फ दो फीसदी खातों में लेनदेन नहीं हुआ है।

किन्नौर में सबसे ज्यादा, चंबा में सबसे कम जीरो बैलेंस खाते
प्रदेश के जिला किन्नौर में सबसे अधिक और चंबा में सबसे कम जीरो बैलेंस खाते हैं। किन्नौर में 13.35 फीसदी, शिमला में 11.23, बिलासपुर में 7.88, चंबा में 5.42, हमीरपुर में 7.02, कांगड़ा में 7.61, कुल्लू में 7.92, सिरमौर में 8.77, सोलन में 11.45, लाहौल-स्पीति में 7.94, ऊना में 10.48 और मंडी में 6.84 फीसदी जन धन योजना के खाते जीरो बैलेंस हैं।

पीएम मोदी ने 2014 में शुरू की थी योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में सत्ता संभालते ही देश भर में गरीबों को बैंक से लेनदेन के लिए जोड़ने के लिए जीरो बैलेंस के खाते खोलने के लिए प्रधानमंत्री जन धन योजना शुरू की थी। इस योजना का लाभ लेते हुए लगभग हर क्षेत्र में जीरो बैलेंस के खाते खोले गए। पीएमजेडीवाई वित्तीय समावेशन के लिए एक राष्ट्रीय मिशन है। इसका मुख्य उद्देश्य कमजोर वर्गों को आर्थिक मुख्यधारा से जोड़ना है।

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