विधानसभा सचिवालय ने फिर भेजा पत्र, पुलिस अधीक्षक इल्मा अफरोज से मांगा गया लिखित जवाब
देहरादून। पुलिस अधीक्षक इल्मा अफरोज से लिखित जवाब प्राप्त करने के लिए विधानसभा सचिवालय ने एक बार फिर राज्य सरकार के गृह विभाग को पत्र भेजा है। सचिवालय की ओर से आग्रह किया गया है कि मामले में शीघ्र कार्रवाई करते हुए संबंधित अधिकारी से स्पष्टीकरण प्राप्त कर विधानसभा को अवगत कराया जाए।
एसपी इल्मा अफरोज के मामले में स्पष्ट जवाब न मिलने पर विधानसभा सचिवालय ने गृह विभाग को दोबारा भेजा पत्र
विधानसभा सचिवालय ने गृह विभाग से आग्रह किया है कि अफरोज से लिखित रूप में स्पष्ट जवाब प्राप्त किया जाए। सचिवालय का कहना है कि जब तक स्पष्ट उत्तर नहीं मिलता, तब तक विधायक रामकुमार का पक्ष भी नहीं जाना जा सकता। दोनों पक्षों के जवाब मिलने के बाद ही यह निर्णय लिया जाएगा कि मामला विशेषाधिकार समिति को भेजा जाए या नहीं।
इससे पहले भी आईपीएस अधिकारी इल्मा अफरोज के खिलाफ कांग्रेस विधायक रामकुमार की विशेषाधिकार हनन की शिकायत पर पुलिस मुख्यालय की ओर से की गई जांच रिपोर्ट को विधानसभा सचिवालय ने लौटा दिया था। यह रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय ने सरकार को भेजी थी। इसकी प्रति सीधे विधानसभा सचिवालय को भी भेज दी थी, जबकि विधानसभा सचिवालय को यह जवाब सीधे पुलिस मुख्यालय के बजाय गृह विभाग से वांछित था। तकनीकी कारणों से विधानसभा सचिवालय केवल सचिव के माध्यम से आए मामले को ही देख सकता है। सचिव के माध्यम से भी पुलिस मुख्यालय की इन्कवायरी वाला जवाब विधानसभा सचिवालय को मिला तो उसमें भी इल्मा अफरोज का लिखित जवाब नहीं था। यह जवाब पुलिस मुख्यालय की ओर से ली गई स्टेटमेंट के रूप में ही आया।
हिमाचल प्रदेश: एसपी इल्मा अफरोज का पक्ष स्पष्ट न होने पर विधानसभा सचिवालय ने फिर मांगा लिखित जवाब
पुलिस अधीक्षक (एसपी) इल्मा अफरोज के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की शिकायत पर कार्रवाई को लेकर राज्य विधानसभा सचिवालय ने एक बार फिर राज्य सरकार के गृह विभाग को पत्र भेजा है। सचिवालय ने अफरोज से स्पष्ट और लिखित जवाब की मांग की है, क्योंकि अब तक प्राप्त रिपोर्ट में उनका पक्ष पर्याप्त रूप से प्रस्तुत नहीं किया गया है।
राज्य पुलिस मुख्यालय के माध्यम से भेजी गई प्रारंभिक जांच रिपोर्ट को विधानसभा सचिवालय पहले ही तकनीकी कारणों से खारिज कर चुका है। पुलिस मुख्यालय ने यह रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजने के साथ-साथ उसकी एक प्रति सीधे विधानसभा सचिवालय को भी प्रेषित की थी, जबकि प्रक्रिया के अनुसार, ऐसा कोई जवाब केवल गृह विभाग के माध्यम से ही स्वीकार्य होता है।
बाद में जब यही रिपोर्ट गृह विभाग के सचिव के माध्यम से पुनः विधानसभा सचिवालय को भेजी गई, तब भी उसमें एसपी इल्मा अफरोज का कोई स्पष्ट लिखित पक्ष शामिल नहीं था। रिपोर्ट में केवल पुलिस मुख्यालय द्वारा ली गई एकतरफा स्टेटमेंट थी, जिसे सचिवालय ने अपर्याप्त माना।
विधायक रामकुमार ने लगाए जासूसी के आरोप
यह मामला कांग्रेस विधायक रामकुमार द्वारा एसपी बद्दी के पद पर कार्यरत रही आईपीएस अधिकारी इल्मा अफरोज के खिलाफ लगाए गए जासूसी के आरोपों से जुड़ा है। विधायक का आरोप है कि अफरोज ने उनकी गतिविधियों की निगरानी कर उनके विशेषाधिकारों का हनन किया है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से इस पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
इस शिकायत के आधार पर विधानसभा सचिवालय ने सरकार से रिपोर्ट मांगी थी, जिसके बाद गृह विभाग ने पुलिस महानिदेशक (DGP) को मामले की जांच सौंपी। अब तक मिली रिपोर्टों में अफरोज का पक्ष स्पष्ट न होने के कारण सचिवालय ने इसे अस्वीकार कर दिया है। सचिवालय ने स्पष्ट किया है कि इल्मा अफरोज का लिखित उत्तर प्राप्त होने के बाद ही विधायक रामकुमार का पक्ष दर्ज किया जाएगा। इसके पश्चात यह निर्णय लिया जाएगा कि मामला विशेषाधिकार समिति को सौंपा जाए या नहीं।