Hamirpur News: एक साल में 112 करोड़ की शराब पी गया हमीरपुर, 150 शराब ठेकों में धड़ाधड़ बिकी दारू

हमीरपुर जिले में शराब की खपत ने नया रिकॉर्ड बना दिया है। बीते एक साल में 112 करोड़ रुपये की शराब बेची गई, जो पिछले वर्षों की तुलना में कहीं ज्यादा है। जिले के 150 शराब ठेकों पर शराब की बिक्री धड़ाधड़ होती रही, जिससे सरकार को तगड़ा राजस्व मिला।

शराब यानी मदिरा, हाला, आसव, सुरा, मद्य, मधु , वारुणी और न जाने किन-किन नामों से इसे पुकारा जाता रहा। ये नाम इस बात की गवाही देते हैं कि आज नहीं बल्कि युगों-युगों से इसका सेवन होता आया है, जो आज भी जारी है। शराब का जिक्र इसलिए छिड़ा है क्योंकि हर साल 31 मार्च से पहले शराब की दुकानों या यूं कहें तो ठेकों की नीलामी राज्य कर एवं आबकारी विभाग करवाता है और ज्यादा से ज्यादा ठेकेदारों को इसमें भाग लेने के लिए प्रोत्साहित भी किया जाता है। जैसा कि सर्व विदित है कि शराब पर लगने वाला टैक्स इस प्रदेश की इकॉनोमी को सशक्त करने में अहम रोल अदा करता आ रहा है। वैसे देखा जाए, तो शराब के चाहवान या यूं कहें कि कद्रदान भी कम नहीं हैं। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर साल करोड़ों रुपए की शराब प्रदेश के लोग पी जाते हैं। अकेले जिला हमीरपुर की ही बात करें, तो पिछले वर्ष 112 करोड़ 20 लाख, 26 हजार 152 रुपए की शराब जिला के लोग पी गए। दरअसल बीते वर्ष इतने करोड़ में जिला हमीरपुर की पांच यूनिट के 150 ठेके नीलाम हुए थे।

मंगलवार को हमीरपुर में लगभग एक साल बाद दोबारा ठेकों की नीलामी हुई है हालांकि पांच यूनिट के 57 ठेके सही बोलीदाता न मिल पाने के कारण अभी नीलाम नहीं हो पाए हैं। बता दें कि इस बार पिछले साल की तुलना में यूनिट पांच से बढ़ाकर 12 कर दिए हैं। हालांकि शराब की दुकानें 150 की जगह 154 ही हुई हैं। पहले एक-एक यूनिट 21 से 22 करोड़ के बीच में नीलाम की जाती थी। इस बार एक-एक यूनिट 8 से 10 करोड़ की रखी गई है। अभी तक सात यूनिट 71,64,79,082 में नीलाम हुए हैं। पांच की नीलामी शेष है। -एचडीएम

सीएल और आईएमएफएल ब्रांड

अकसर सबने देशी और अंगे्रजी शराब के बारे में सुना होगा। दरअसल इन्हें देशी यानी कंट्री लिक्कर (सीएल) और अंग्रेजी यानी इंडियन मेड फोरन लिक्कर (आईएमएफएल) का नाम दिया गया है।

114 करोड़ राजस्व का लक्ष्य

विभाग की ओर से इस बार जिला हमीरपुर में 114 करोड़ 17 लाख 65 हजार 630 रुपए राजस्व का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें सीएल यानी देशी दारू से 56,13,10,950 रुपए जबकि अंग्रेजी शराब यानी आईएमएफएल से 58,04,54,680 की कमाई का लक्ष्य रखा है।

3197413 प्रूफ लीटर्स कोटा निर्धारित

राज्य कर एवं आबकारी विभाग ने जिला हमीरपुर में इस बार 31,97,413 प्रूफ लीटर्स (पीएलएस) कोटा बेचने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इनमें 1935555 देशी जबकि 1261858 प्रूफ लीटर्स अंग्रेजी शराब बची जानी है। बोतलों में भले ही शराब एमएल के हिसाब से भरी जाती है, लेकिन इसकी ताकत को प्रूफ लीटर्स में मापा जाता है। यानी उसमें अल्कोहल की मात्रा कितनी है और पानी की कितनी। देसी शराब की एक पेटी में 4.5 जबकि अंग्रेजी में 6.75 प्रूफ लीटर्स होते हैं।

बढ़ती खपत के पीछे क्या कारण?

विशेषज्ञों का मानना है कि इस बढ़ोतरी के पीछे कई कारण हो सकते हैं—
त्योहारों और शादियों में अधिक खपत: शादियों, पार्टियों और त्योहारों के दौरान शराब की मांग बढ़ी।
बढ़ती क्रय शक्ति: लोगों की आय बढ़ने के कारण शराब पर अधिक खर्च किया जा रहा है।
आसान उपलब्धता: ठेकों की संख्या अधिक होने से शराब खरीदना पहले से आसान हो गया है।

शराब के बढ़ते चलन पर सामाजिक चिंता

शराब की बढ़ती खपत को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि—
🔹 अत्यधिक शराब सेवन से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।
🔹 शराब के कारण घरेलू हिंसा और सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं।
🔹 युवाओं में शराब का बढ़ता चलन नशे की लत को बढ़ावा दे सकता है।

प्रशासन क्या कर रहा है?

आबकारी विभाग ने स्वीकार किया है कि शराब की बिक्री में भारी उछाल आया है। हालांकि, नशे की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान चलाने की बात कही जा रही है। कुछ सामाजिक संगठनों ने भी नशाबंदी की मांग उठाई है, लेकिन प्रशासन इस पर कोई ठोस कदम उठाएगा या नहीं, यह देखने वाली बात होगी।

अब सवाल उठता है—क्या हमीरपुर में शराब की बिक्री पर कोई लगाम लगेगी या आने वाले सालों में यह आंकड़ा और बढ़ता चला जाएगा?

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