ऊना जिले के बंगाणा उपमंडल की अरलू खास पंचायत के दंगड़ू गांव के 43 वर्षीय अजय के हुनर के साथ मेहनत रंग लाई है। वे बांस के सुंदर उत्पाद तैयार कर आत्मनिर्भरता की राह दिखा रहे हैं। महीने में 50 से 60 हजार की कमाई हो रही है। यही नहीं गांव की अनेक महिलाओं को भी स्वरोजगार की राह दिखाई। उन्होंने यूट्यूब का उपयोग नया हुनर सीखने के लिए किया। प्रशिक्षित होने के बाद बांस की हस्तनिर्मित सजावटी एवं उपयोगी वस्तुएं बनाकर उन्होंने जागृति बैंबू क्राफ्ट का बैनर खड़ा कर अन्य लोगों को भी आजीविका का साधन उपलब्ध कराया। अजय ने होटल मैनेजमेंट तक पढ़ाई की है। सबसे पहले उन्होंने टेबल पर रखे जाने वाले तिरंगे झंडे का बेस बनाया।
नाबार्ड के 6 महीने के प्रोजेक्ट में काम करने का अवसर मिला। इस परियोजना के तहत 25 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया। उनके प्रमुख उत्पादों में सजावटी और घरेलू उपयोग की वस्तुएं शामिल हैं। इनमें सजावटी शिप मॉडल, ट्रे, फूलदान, मंदिरों के मॉडल, पेन स्टैंड, ईको-फ्रेंडली ब्रश और बुफर, की-चेन और टेबल लैंप शामिल हैं। एक 10 फीट के बांस से वे लगभग 30 पेन स्टैंड बना लेते हैं। उनके उत्पादों की कीमत 30 रुपये से 2000 रुपये तक होती है।
बैंबू इंडिया के सीईओ भी सराह चुके हैं काम
अजय बताते हैं कि बैंबू इंडिया के सीईओ योगेश शिंदे स्वयं उनकी वर्कशॉप देखने उनके गांव आए थे और उनके प्रयासों की प्रशंसा की। इससे उन्हें बड़ा हौसला मिला। नए-नए उत्पाद बनाने और उनमें गुणात्मक सुधार को लेकर सीखा। अजय गांव में अपने पुराने मकान को वर्कशॉप की तरह उपयोग कर रहे हैं।
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डीसी ऊना जतिन लाल कहते हैं कि प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार प्रशासन जिले में बैंबू आधारित कारोबार को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। ऊना के घंडावल में बैंबू विलेज परियोजना के तहत प्रसंस्करण इकाई, टूथ ब्रश, फर्नीचर तथा बांस के अन्य सजावटी सामान बनाने की इकाई स्थापित करने समेत अन्य कार्य किए जा रहे हैं।