चंबा। वित्त वर्ष 2024-25 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत चंबा जिले में करीब 355 करोड़ रुपये विभिन्न विकासात्मक कार्यों पर खर्च किए गए। यह जानकारी उपायुक्त मुकेश रेपसवाल ने खंड विकास अधिकारियों के साथ आयोजित समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी।
हिमाचल न्यूज़: वित्त वर्ष के दौरान चंबा में मनरेगा के तहत 355 करोड़ रुपये खर्च — डीसी
चंबा: जिला चंबा में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान कुल 355 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। यह जानकारी उपायुक्त (DC) चंबा ने दी है।
डीसी के अनुसार, इस राशि के माध्यम से जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ों विकासात्मक कार्य किए गए, जिनमें सिंचाई, जल संरक्षण, सड़क निर्माण और अन्य ग्रामीण आधारभूत ढांचे को सशक्त करने वाले प्रोजेक्ट शामिल हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि मनरेगा के तहत हजारों ग्रामीणों को रोजगार के अवसर प्रदान किए गए, जिससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिली, बल्कि ग्रामीण लोगों को अपने गांव में ही काम मिलने से प्रवास पर भी अंकुश लगा।
प्रशासन का लक्ष्य आने वाले वित्त वर्षों में इस योजना को और अधिक प्रभावी बनाना है, ताकि अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिल सके और ग्रामीण क्षेत्रों का सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके।
हजारों परिवारों को मिला सहारा
मनरेगा के तहत किए गए इन कार्यों से जिले के हजारों ग्रामीण परिवारों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला। खासतौर पर उन परिवारों को राहत मिली, जो रोज़गार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर थे। अब उन्हें गांव में ही काम और आय का साधन उपलब्ध हो रहा है।
महिलाओं की भागीदारी भी रही उल्लेखनीय
डीसी ने यह भी बताया कि मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी भी उल्लेखनीय रही। बड़ी संख्या में महिलाओं ने निर्माण कार्यों, पौधारोपण और जल संरक्षण परियोजनाओं में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया, जिससे महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिला।
आने वाले समय में योजना को और प्रभावी बनाने की तैयारी
प्रशासन का कहना है कि आने वाले वर्षों में योजना के तहत कार्यों की गुणवत्ता को और बेहतर बनाया जाएगा। इसके लिए पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और तकनीकी सहायता भी उपलब्ध करवाई जाएगी, ताकि स्थायी विकास को सुनिश्चित किया जा सके।
डीसी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि आगामी वर्ष के लिए योजनाएं समय पर तैयार की जाएं और ज़मीनी स्तर पर इनकी प्रभावशीलता पर विशेष ध्यान दिया जाए।