हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पारित भू-राजस्व संशोधित विधेयक और भारतीय स्टांप (हिमाचल प्रदेश संशोधन) विधेयक से राज्य सरकार को महत्वपूर्ण राजस्व प्राप्त होने की संभावना है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि इन विधेयकों के माध्यम से हिमाचल प्रदेश को एक साल में लगभग 1,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी।
इन विधेयकों के संभावित लाभ:
- राजस्व वृद्धि: भू-राजस्व और स्टांप शुल्क में संशोधन से सरकारी खजाने को अतिरिक्त आय होगी, जिससे विकास कार्यों को गति मिलेगी।
- संपत्ति और भूमि लेन-देन में पारदर्शिता: स्टांप शुल्क से संबंधित संशोधनों से संपत्ति खरीद-बिक्री में पारदर्शिता बढ़ेगी और अनियमितताओं पर रोक लगेगी।
- बुनियादी ढांचे के विकास में मदद: सरकार इस राजस्व को शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क निर्माण जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए उपयोग कर सकती है।
- राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार: यह अतिरिक्त आय राज्य के वित्तीय ढांचे को मजबूत करेगी और कर्ज के बोझ को कम करने में सहायक हो सकती है।
सरकार का मानना है कि इन विधेयकों के लागू होने से हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और विभिन्न विकास परियोजनाओं को प्रभावी रूप से क्रियान्वित किया जा सकेगा।
हिमाचल विधानसभा में भू-राजस्व और स्टांप संशोधन विधेयकों को मिली मंजूरी, सरकार को सालाना 1000 करोड़ की अतिरिक्त आय की उम्मीद
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में भू-राजस्व संशोधित विधेयक और भारतीय स्टांप (हिमाचल प्रदेश संशोधन) विधेयक को मंजूरी दे दी गई है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बताया कि इन विधेयकों के लागू होने से राज्य को एक वर्ष में लगभग 1,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय प्राप्त होगी।
इन दोनों विधेयकों को राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने विधानसभा में प्रस्तुत किया, जिसके बाद इन्हें स्वीकृति मिल गई। सरकार का मानना है कि इन संशोधनों से राजस्व में वृद्धि, भूमि लेन-देन में पारदर्शिता और राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
हिमाचल में भू-राजस्व संशोधित विधेयक पारित, गैर-कृषि भूमि उपयोग पर सरकार वसूलेगी राजस्व
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पारित भू-राजस्व संशोधित विधेयक के तहत गैर-कृषि उपयोग के लिए निजी भूमि का उपयोग करने पर अब राज्य सरकार भू-राजस्व वसूलेगी।
संशोधित विधेयक के प्रमुख प्रावधान:
✅ गैर-कृषि भूमि पर राजस्व: किसी भी परियोजना में निजी भूमि का गैर-कृषि कार्यों के लिए उपयोग करने पर सरकार अब राजस्व वसूलेगी।
✅ पर्यावरण उपकर: प्रदेश में परियोजनाओं पर 2% पर्यावरण उपकर (Eco Tax) लगाया जाएगा।
✅ देर से भुगतान पर ब्याज: यदि तय समय पर पर्यावरण उपकर नहीं चुकाया जाता है, तो संचित राशि पर 1% ब्याज भी देना होगा।
✅ भू-राजस्व दरों में बढ़ोतरी:
- एक बीघा निजी कृषि योग्य भूमि पर 1 रुपये प्रति बीघा हर 6 माह में लिया जाता था, जिसे अब पहली बार 1954 के बाद बढ़ाया जा रहा है।
- गैर-कृषि कार्यों के लिए भूमि उपयोग का प्रावधान पहले से था, लेकिन अब इसमें परियोजनाओं और अन्य उद्देश्यों के लिए दी गई भूमि को भी शामिल किया गया है।
इस संशोधन से पर्यावरण उपकर राज्य सरकार के लिए राजस्व का नया स्रोत बनेगा और भूमि उपयोग में पारदर्शिता आएगी।
हिमाचल में जमीन खरीदना हुआ महंगा, स्टांप ड्यूटी 6% से बढ़कर 12%
हिमाचल प्रदेश में धारा 118 के तहत जमीन खरीदना अब महंगा हो गया है। उद्योगों और व्यावसायिक उपयोग के लिए जमीन की कीमतें बढ़ेंगी, क्योंकि स्टांप शुल्क को 6% से बढ़ाकर 12% कर दिया गया है। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने विधानसभा में भारतीय स्टांप (हिमाचल प्रदेश संशोधन) विधेयक 2025 प्रस्तुत किया, जिससे यह बदलाव लागू हुआ।
विधेयक के प्रमुख बिंदु:
✅ स्टांप शुल्क में बढ़ोतरी: धारा 118 के तहत जमीन खरीदने पर अब 6% के बजाय 12% स्टांप शुल्क देना होगा।
✅ विपक्ष और सत्ता पक्ष की आपत्तियां: कई विधायकों ने इसे अत्यधिक वृद्धि बताते हुए आपत्ति जताई और इसे सिलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग की।
✅ धार्मिक संस्थाओं को छूट: राजस्व मंत्री ने स्पष्ट किया कि सोसाइटी और धार्मिक संस्थाओं के लिए स्टांप ड्यूटी में पहले से ही छूट का प्रावधान है। इन संस्थाओं के लिए 12% शुल्क को कम किया जा सकता है।
इस संशोधन से उद्योगों और व्यावसायिक गतिविधियों पर असर पड़ सकता है, लेकिन सरकार को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है।