अचार के लिए इस्तेमाल होता है कच्चा आम, पंजाब की मंडियों में होती है बिक्री
जिले में सैकड़ों आम के पेड़ हैं, जिनसे प्राप्त कच्चे आम का उपयोग अचार बनाने के लिए किया जाता है। यहां उत्पादित कच्चे आम की बिक्री मुख्य रूप से पंजाब की मंडियों में होती है, जहां इसकी अच्छी मांग रहती है।
हल्की बारिश से आम उत्पादकों को बंपर फसल की उम्मीद, पंजाब की मंडियों में रहती है मांग
संवाद न्यूज एजेंसी
ऊना – हल्की बारिश से जिले में आम के फलों का कारोबार करने वाले बागवानों को बंपर फसल की उम्मीद जगी है। इस समय आम के पेड़ बौर से लदे हुए हैं, और विभिन्न प्रजातियां अच्छी पैदावार का संकेत दे रही हैं।
ऊना जिले का आम पड़ोसी राज्य पंजाब की बड़ी मंडियों में बेहद लोकप्रिय है, खासकर देसी कच्चे आम की वहां खासी मांग रहती है। इसका अचार बेहतरीन स्वाद वाला होता है, जिसे कई बड़ी कंपनियां खरीदती हैं। यदि फसल अच्छी होती है, तो बागवान पेड़ों पर लगी फसल का पहले ही सौदा कर लेते हैं या फिर खुद मंडियों तक आम पहुंचाते हैं।
ऊना में 1990 हेक्टेयर में आम की खेती, इस साल बंपर फसल की उम्मीद
संवाद न्यूज एजेंसी
ऊना – जिले के पांच उपमंडलों में करीब 1990 हेक्टेयर भूमि पर आम की खेती होती है। किसानों ने अपने बगीचों में दशहरी, लंगड़ा, मलका, आम्रपाली जैसी उन्नत किस्मों के साथ-साथ देसी आम के पौधे भी लगाए हैं, जिन पर इस साल शानदार बौर देखने को मिल रहा है।
बंपर फसल की संभावना को देखते हुए बागवानी विभाग ने बागवानों को फसल संरक्षण के लिए उपयोगी जानकारी देना शुरू कर दिया है। आम के अंकुर को बीमारियों से बचाने के लिए विभिन्न प्रकार की दवाइयों के छिड़काव के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है।
इस सीजन में जिले में औसतन 18,000 टन आम की पैदावार का अनुमान है, जिसमें से 12,000 मीट्रिक टन देसी कच्चे आम की फसल होती है। इस देसी कच्चे आम की मांग पंजाब की मंडियों में अधिक रहती है, खासकर अचार बनाने के लिए इसकी बड़े पैमाने पर बिक्री होती है।
ऊना में आम की बंपर फसल, लेकिन बाजार की कमी से बागवान परेशान
संवाद न्यूज एजेंसी
ऊना – जिले में इस साल आम की बंपर फसल होने की उम्मीद है, लेकिन बागवानों के सामने स्थानीय स्तर पर बाजार की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। ऊना में आम की बिक्री के लिए कोई बड़ा मंच उपलब्ध नहीं है, जिससे बागवानों को अपने फलों का उचित दाम नहीं मिल पाता।
आमतौर पर कुछ ठेकेदार सस्ते दामों में पेड़ों पर लगे सभी फलों का सौदा कर उन्हें मंडियों तक पहुंचाते हैं। ऊना जिले के कच्चे आम की अचार इंडस्ट्री में जबरदस्त मांग है, खासकर अमृतसर, कोटकपूरा, मोगा और लुधियाना की मंडियों में इसकी सप्लाई अधिक होती है, जहां से यह अचार फैक्ट्रियों तक पहुंचता है।
खरीद प्रक्रिया के तहत आम से लदी गाड़ियों की मंडियों में बोली लगाई जाती है, लेकिन दाम निश्चित नहीं होते। यह ₹5 प्रति किलो से लेकर ₹30 प्रति किलो तक पहुंच सकता है, जिससे बागवानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ. केके भारद्वाज ने बताया कि इस वर्ष जिले में आम की अच्छी पैदावार की संभावना है। अब तक फसल किसी बीमारी की चपेट में नहीं आई है, और मौसम भी अनुकूल बना हुआ है। बागवानों को आम की फसल को बीमारियों से बचाने के लिए उचित दवाइयों के छिड़काव की सलाह दी जा रही है।